हेलो दोस्तों Hindi Horror Story में आपका स्वागत है ये कहानी कोलकाता में रहने वाले सुमित कुमार की एक सच्ची कहानी है....
मेरा नाम सुमित है और मैं कोलकाता में रहता हु,आज मैं आपलोगो से अपना एक ऐसा experience share करूँगा जो मैं अपने जीवन में कभी नहीं भूल सकता ! यह उस समय की बात है जब मैं क्लास 8th में था मेरे स्कूल की summer vacation शुरू ही हुई थी, अक्सर हम गर्मियों की छुट्टियों में अपने गांव घूमने जाते है पर इस बार पहली बार मामा के वहां जाने का और पूरा vacation बिताने का plan था ! जो उत्तर प्रदेश में है ।
मैं अपने मामा के घर पहली बार जा रहा था ,और बहोत excited भी था , पापा ने हमारे लिए टिकट करवा दिया था वो हमारे साथ गांव नहीं जा रहे थे क्युकी उनको काम से छुट्टी नहीं मिली थी मैं मेरा छोटा भाई मेरी एक छोटी बेहेन और मेरी माँ हम चार लोग जा रहे थे हमने हावड़ा स्टेशन से ट्रैन पकड़ी जिसने, दूसरे दिन सुबह 7 बजे हमें आजमगढ़ स्टेशन पे पंहुचा दिया ।
फिर हमने वहां से अपने गांव तक जाने वाली बस पकड़ी जो 40 -45 मिनट में हमे हमारे गांव के मुख्या बाजार तक पंहुचा दिया वहां हमे लेने हमारे मामा आये थे, फिर हम उनके साथ घर गए मामा का घर मुख्य गांव से बाहर एक बड़े से आम के बगीचे में था चारो तरफ बड़े बड़े आम के पेड़ थे वहां सिर्फ उनका एकलौता घर था आस-पास और कोई घर नहीं था और लम्बे यात्रा से थके होने के कारण मैं नाहा और खाके सो गया !
शाम को 5 साढ़े 5 बजे मामी चाय लेकर मुझे उठाने आई तब मेरी आँख खुली मैंने उठ के चाय और बिस्कुट लिया फिर फ्रेश होने चला गया और फ्रेश होके जब मैं बॉडी स्प्रे लगा रहा था तभी मेरे मामा के लड़के ने मुझे शाम के समय बॉडी स्प्रे लगाने से माना कर दिया मुझे बहोत आश्चर्य हुआ मैंने उनसे इसकी वजह पूछी तो उन्होंने मुझे कुछ साफ़ साफ़ नहीं बताया ।
बस इतना ही कहा की यहाँ शाम के वख्त बॉडी स्प्रे और क्रीम जैसी चीज़ो का इस्तेमाल नहीं करते , क्यू की मेरी ये आदत थी की मैं शाम को हमेशा एक बार फ्रेश होता हूँ और बॉडी स्प्रे और फेस क्रीम जैसी चीज़ लगता हूँ मुझे साफ़ सुथरा और सज धज के रहना बहोत पसंद था इसलिए मैंने भाई के मना करने पर भी उनकी बाते नहीं सुनी पर मेरे मन में एक अजीब सा सवाल बैठ गया था की आखिर यहाँ ऐसा क्यू है मेरे बॉडी स्प्रे लगाने से किसीको क्या परेशानी हो सकती थी।
मैंने इसका जवाब सभी से जाननी चाही पर सभी ने एक ही जवाब दिया की यहाँ पर शाम को ये सब चीज़ो से दूर ही रहते है तुम भी बात मानो और ये सब शाम को मत लगाया करो पर मैंने किसी की बात नहीं सुनी मैंने उनकी बातो को ignore कर दिया !
मैं बाहर टहलने के लिए निकला थोड़ी देर बहार खेतो में टहलने के बाद मैंने देखा अँधेरा होने लगा था और गांव में बिजली न होने के कारण अँधेरा होने के बाद रास्ता तक ठीक से नहीं दीखता जिससे साप और बिच्छू का भी खतरा होता था तो मैंने अँधेरा होने से पहले ही घर जाने का फैसला किया मेरे घर पहोचते पहुंचते लगभग अँधेरा हो गया था घर के सामने एक लालटेन जल रहा था जिसकी हलकी रौशनी से घर के सामने थोड़ी सी रौशनी फैली हुई थी ।
मामी रसोई में खाना बना रही थी गांव में अँधेरा होते होते रात का खाना बन जाता है और उसी वक्त सब खा भी लेते है मैं रसोई में गया तो मामी ने कहा की खाना बन गया है खालो पर मुझे इतने जल्दी खाने की आदत नहीं है उस वक्त लगभग 7 बज रहे होंगे मैंने मामी से कहा मैं अभी नहीं खाऊंगा ये कह कर मैं छत पे चला गया और मोबाइल में गेम खेलने लगा ।
गेम खेलते खेलते काफी देर हो गई थी मुझे भूख भी लग रही थी मेने मोबाइल में समय देखा तो साढ़े 10 बज रहे थे मैं छत से उतरा और देखा सभी खाके सो गए थे मैंने मामी से खाना देने को कहा वो काफी गहरी नींद में थी और उन्होंने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया तो मैंने सोचा खुद ही खाना निकाल के खा लेता हूँ।
रसोई घर मुख्य घर से अलग था घर के आगे एक छोटी सी झोपडी थी जिसे रसोई घर की तरह इस्तेमाल किया जाता था मैं मुख्य घर से बहार निकला बिजली न होने के कारण बहार बहोत अँधेरा था तो मैंने अपनी मोबाइल का फ़्लैश लाइट जलाया और टंकी में हाथ पैर धोने गया ,हाथ पैर धो के जब मैं रसोई घर के तरफ बढ़ा तभी मुझे कुछ अजीब सा एहसास हुआ ऐसा लगा की कोई मेरा पीछा कर रहा है मैंने पीछे पलट कर देखा तो वहां कोई नहीं था मैंने उस चीज़ को ignore किया और रसोई की तरफ जाने लगा तभी मुझे फिर से किसी की पैरो की आवाज़ सुनाई दी मानो कोई मेरे पीछे चल रहा हो।
मैंने फिर पीछे पलट कर देखा तो वहां कोई नहीं था इस बार मैं थोड़ा डर गया था पर फिर भी मैंने ये सोच कर उस चीज़ को ignore कर दिया की ये मेरा वेहम हो सकता है मैं रसोई मैं जा कर खाना निकाल ही रहा था तभी मुझे किसी बच्चे की रोने की आवाज़ सुनाई पड़ी जो रसोई के पीछे वाले खेतो से आ रही थी मुझे आश्चर्य हुआ की इतनी रात में किसका बच्चा खेतो में रो रहा है मैं देखने के लिए गया तो वो आवाज़ अच्चानक से बंद हो गयी मैंने आवाज़ लगाई कौन है कौन है वहां किसका बच्चा रो रहा है पर कोई जवाब नहीं आया मैं काफी डर गया था ।
मैं वापस रसोई में गया और खाना खाने लगा तभी मुझे फिर से बच्चे की रोने की आवाज़ सुनाई दी मैं फिर खाना छोड़ के देखने के लिए गया इस बार वो आवाज़ पहले से भी ज्यादा ज़ोर से आ रही थी मैं रसोई के पीछे वाले खेतो में आवाज़ का पीछा करते हुए गया मैं जितना उस आवाज़ के करीब जा रहा था वो आवाज़ मुझसे उतना ही दूर होते जा रही थी मैं आवाज़ का पीछा करते करते एक सूखे तालाब के पास पहोचा आवाज़ उस तालाब से आ रही थी मैंने उस तालाब के अंदर बहार से ही झांक कर देखा तो मुझे एक छोटा सा बच्चा जोर जोर से रोता दिखाई पड़ा ।
मैं धीरे धीरे उस बच्चे के पास गया साथ साथ मेरे मन में ये भी सवाल उठ रहा था की इतने रात को ये किसका बच्चा यहाँ रो रहा है मैं उस बच्चे के पास बढ़ा और जैसे ही उस बच्चे को उठाने गया तभी उस बच्चे का अकार धीरे धीरे एक दैत्याकार काले प्रेत के साये में परिवर्तित हो गया उसका शरीर विशाल गहरे काले रंग का था उसकी आँखे बड़ी और लाल थी उसके बड़े बड़े नाखून थे मेरी तो जैसे साँसे ही रुक गई थी मैं कुछ समझ पता उससे पहले ही....
वो काला साया मेरे चारो और इतनी जोर जोर से चक्कर लगाने लगा की मैं ज़मीन पर गिर गया फिर वो मेरे ऊपर चढ़ के मेरा गला दबाने लगा मैं जोर जोर से चीखने लगा मम्मी मम्मी मुझे बचाओ पर शायद एक दो बार के बाद मेरी आवाज़ दोबारा बहार ही नहीं निकली मैं डर से बेहोश हो गया ।
मुझे दूसरे दिन होश आया तो मैंने देखा की घर के सभी लोग मेरे चारो तरफ मुझे घेर कर खड़े थे और एक बाबा थे जो मेरे पास बैठ कर कुछ मंत्र पढ़ रहे थे मेरे हाथ-पैर एक रस्सी से बंधे हुए थे मेरे गले में एक तावीज़ थी मेरा शरीर तेज़ बुखार से तप रहा था मेरी माँ एक कोने में खड़े हो कर रो रही थी मेरे होश में आते ही सब पूछने लगे की तुम ठीक तो हो मैंने सर हिला कर हां का इशारा किया !
मेरे मन में भी बहोत सारे सवाल उठ रहे थे की मैं यहाँ कैसे पहोचा और उस काली साया का क्या हुआ मैं जिन्दा कैसे बच गया काफी सारे सवाल मेरे मन में चल रहे थे ।
मामा ने मुझसे पूछा की तुम वहां उतने रात में क्या करने गए थे तो मैंने रात की सारी घटना सभी को बताई सभी काफी डरे हुए से दिख रहे थे फिर मैंने उनसे पूछा की मैं यहाँ कैसे आया...
तो मामा ने बताया की तुम्हारी चीखने की आवाज़ सुनाई पड़ी तो हम सब दौड़ते हुए तुम्हारे तरफ आये तो देखा की तुम उस तालाब में एक छोटे बच्चे की तरह खेल रहे थे हम समझ गए की ये उस तालाब वाले प्रेत का प्रभाव है मैंने तुरंत बाबा जी को बुलावा भेजा परन्तु वो उस समय गांव में नहीं थे ।
मैंने उनसे बताया की मेरा एक भांजा है जो कलकत्ते से आया है उसे तालाब वाले प्रेत ने अपने वश में कर लिया है.... मैं क्या करू? कुछ उपाय बताइये, तो बाबा जी ने कहा की उसपर गंगा जल छीट कर उसे घर ले जाओ और एक रस्सी से हाथ और पैर बांध के रखना मैं सुबह आ कर देखता हूँ तो मैंने ऐसा ही किया और सुबह होने का इंतज़ार करने लगा ,फिर सुबह बाबा जी आये और पूजा पाठ करके तुम्हे उस प्रेत के वश से मुक्त कराया ,भगवन का लाख लाख शुक्र है की उस प्रेत ने तुम्हारा शरीर छोड़ दिया !